Astha Singhal

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लेखनी प्रतियोगिता -31-Dec-2021 ले चल मुझे भी वहां

                           ले चल मुझे भी वहां


ले चल मुझे भी वहां

जहां ना गम हो, ना दुख हो,
जहां ना ईर्ष्या हो, ना द्वेष हो,
जहां ना धोखेबाज़ हों, 
और ना चालबाज़ हों।

जहां ना नीचा दिखाने वाले हों,
और ना नीचे गिराने वाले हों,
जहां ना लालच के भूखे हों,
और ना लालच बांटते लोभी हों।

जहां ना पैसों से प्यार को तोलने वाले हों,
और ना पैसों के लिए प्यार को बेचने वाले,
जहां ना वीभत्स हिसंक हों,
और ना ही हिंसा करने वाले हों।

ऐ मेरे दिल,
ढूंढ के ला तू इक ऐसा जहान,
और फिर ले चल,
मुझे भी वहां।।

🙏
आस्था सिंघल
(स्वरचित)

   8
9 Comments

Swati chourasia

02-Jan-2022 08:16 AM

Very beautiful 👌👌

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Astha Singhal

03-Jan-2022 08:15 AM

धन्यवाद 🙏

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Abhinav ji

31-Dec-2021 11:37 PM

शानदार प्रस्तुति

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Astha Singhal

01-Jan-2022 06:36 PM

आभार आपका 🙏

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Shrishti pandey

31-Dec-2021 11:13 PM

Bahut hi sundar

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Astha Singhal

01-Jan-2022 06:37 PM

बहुत बहुत आभार 🙏

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